मां स्कंदमाता कहानी , पूजा विधि, आरती और ध्यान मंत्र जानिए इनसे जुड़ी सभी बातें।
नवरात्रि के पांचवे दिन आज होगी स्कंदमाता की पूजा जानिए पूजा विधि, ध्यान मंत्र, मां की कथा और उनसे जुड़ी हम बातें।
नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है आज नवरात्र पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाएगी। आज के दिन हम सभी स्कंदमाता की उपासना करते हैं। स्कंदमाता देवी आदि पराशक्ति मां दुर्गा की पांचवा रूप है। मां स्कंदमाता अपने भक्तों को मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता है।
स्कंदमाता |
आइए अब हम आपको मां स्कंदमाता से जुड़ी कहानी, पूजा विधि, महत्व, ध्यान मंत्र, और आरती से जुड़ी सभी जानकारी आपको देने का प्रयास करेंगे। आप इस तरह से स्कंदमाता को पूजा करके प्रसन्न कर सकते हैं।
मां स्कंदमाता की कहानी
भगवान स्कंद कुमार की माता का नाम स्कंदमाता है। इसे ही कार्तिकेय के नाम से भी जाने जाते हैं। भगवान कार्तिकेय प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति थे। मां स्कंदमाता ने ही स्कंद कुमार को युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया।
कहा जाता है कि एक राक्षस था जिसका नाम तारकासुर था उसकी मृत्यु सिर्फ शिव के पुत्रों द्वारा संभव थी। स्कंदमाता से प्रशिक्षण लेने के बाद स्कंद कुमार ने तारकासुर नामक राक्षस का अंत किया।
मां स्कंदमाता की स्वरूप कैसी है?
मां स्कंदमाता की स्वरूप अत्यंत मनमोहक है। जिसमें मां की दाहिनी तरफ नीचे पूजा के ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प और साथ ही साथ बाएं तरफ ऊपर वाली भुजा में वर मुद्रा में तथा नीचे वाली भुजाओं में जो ऊपर की ओर उठी है उस में कमल पुष्प पकड़ी हुई है।
मां अपनी गोद में स्कंद कुमार को ली हुई है इसीलिए इन्हें स्कंदमाता के नाम से भी जाना जाता है इसके अलावा मां के अनेक नाम है।
किन-किन नामों से जाना जाता है मां स्कंदमाता को?
मां स्कंदमाता ही हिमालय की पुत्री पार्वती है इसे ही महेश्वरी और गौरी के नाम से भी जाना जाता है। मां पर्वतराज की पुत्री होने के कारण पार्वती कहलाती है और देवों के देव महादेव की पत्नी होने के कारण महेश्वरी के नाम से जानी जाती है। साथ ही साथ अपने गौर वर्ण के कारण देवी गौरी के नाम से पूजा की जाती है।
पूजा विधि
नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा करने के लिए आपको सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ एवं नए सफेद वस्त्र धारण करें। क्योंकि सफेद रंग का वस्त्र मां को सबसे अधिक प्रिय है। अब किसी घर या मंदिर में मां स्कंदमाता की प्रतिमा लगाए। अब अपने आसपास गंगाजल से शुद्धीकरण कर दें।
अब कलश में कुछ सिक्के डालकर मां स्कंदमाता के सामने कलश की स्थापना करें। अब आप पूजा का संकल्प लें इसके बाद माता को रोली कुमकुम लगाए। साथ ही साथ हल्दी सिंदूर, बेलपत्र, पान, पुष्प हार माता को अर्पित करें। अब दीपक से मां की आरती उतारे। मां को केले का भोग लगाएं। इसके बाद प्रसाद लोगों में वितरण करें और स्वयं भी कुछ ग्रहण करें।
पूजा का महत्व
मां स्कंदमाता की पूजा का बहुत ही खास महत्व है इसकी पूजा करने से हमें मोक्ष की प्राप्ति होती है। संतान की प्राप्ति के लिए अब स्कंदमाता की पूजा कर सकते हैं। मां स्कंदमाता को अपने पुत्र से बहुत अधिक स्नेह है इसलिए इसे उसके पुत्रों के नाम से पुकारा जाता है।
जो भक्त मां की पूजा करते हैं मां उसको अपने पुत्र के समान स्नेह लुटाती है। इसके साथ ही साथ मां अपने भक्तों की सारी समस्या को हल कर देती है क्योंकि वह अपने भक्तों को अपना पुत्र के समान मानती है इसलिए वह अपने भक्तों को कभी भी निराश नहीं करती। अतः हमें भी मां स्कंदमाता की पूजा श्रद्धा भाव के साथ करनी चाहिए। इससे हमारे सारे मनोरथ सिद्ध होंगे।
मां स्कंदमाता ध्यान मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
मां स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंदमाता
पांचवां नाम तुम्हारा आता
सब के मन की जानन हारी
जग जननी सब की महतारी
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं
हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं
कई नामो से तुझे पुकारा
मुझे एक है तेरा सहारा
कही पहाड़ों पर है डेरा
कई शहरों में तेरा बसेरा
हर मंदिर में तेरे नजारे
गुण गाये तेरे भगत प्यारे
भगति अपनी मुझे दिला दो
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो
इन्दर आदी देवता मिल सारे
करे पुकार तुम्हारे द्वारे
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये
तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई
‘चमन’ की आस पुजाने आई
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