Essay on Rakshabandhan रक्षाबंधन पर निबंध हिंदी में
Eassy on Rakshabandhan
रक्षाबंधन |
Hi friends मैं संतोष शर्मा अपने blog Gyan Adda में आप सबों का स्वागत करता हूं।आज के इस ब्लॉग friends में एक रोचक जानकारी आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहा हूं। मैं उम्मीद करता हूं कि यह जानकारी आपको अच्छा लगेगा।
आज के इस ब्लॉग में मैं रक्षाबंधन के त्यौहार के बारे में बताऊंगा। जिसमें इसके महत्व एवं साथ ही साथ इससे कैसे मनाया जाता है एवं इनसे संबंधित अन्य विषयों पर भी चर्चा करूंगा।
मैं आपसे इतना उम्मीद अवश्य कर सकता हूं कि आप भी इस पवित्र त्योहार के बारे में अवश्य जानते होंगे। मैं अपने इस पोस्ट के द्वारा आपको पुनः इसके बारे में जानकारी देने का प्रयास करूंगा।
रक्षाबंधन भारत के लोकप्रिय एवं प्राचीनतम त्योहारों में से एक है। मैं अपने इस ब्लॉग शुरू करने से पहले इसके उपर दो लाइन बोलूंगा। जो इस प्रकार है-
" जन्मो जन्मो का नाता है,
भाई बहन का त्यौहार रक्षाबंधन अनोखा है अनोखा है।"
प्रस्तावना:-
इस पर्व के अवसर पर बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधते हैं। और भाई उसकी रक्षा करने का वचन देते हैं।
इन्हीं कारणों से इसे भाई -बहन का त्योहार रक्षाबंधन भी कहा जाता है।
अपितु यह त्योहार भारत ,नेपाल, एवं अन्य देश जहां पर भारतवासी रहते हैं। इन जगहों पर भी यह त्योहार बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाते हैं। रक्षाबंधन का यह त्यौहार कई वर्षों से चलता हुआ आ रहा है। इस त्यौहार के पीछे कई ऐतिहासिक घटनाएं भी है।
श्रावण महीने में पूर्णिमा के दिन बहन द्वारा अपने भाई की कलाई पर बांधने वाले बंधन की रीत को रक्षाबंधन कहा जाता है। प्राचीन काल में यह बंधन अनेक प्रकार के वचन को निभाने के लिए बांधा जाता था। लेकिन समय के साथ-साथ इसमें में भी परिवर्तन हुआ। और यह अब भाई बहन के बीच का प्रमुख त्योहार बन गया।
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रक्षाबंधन का यह त्योहार सिर्फ भाई-बहन के बीच ही नहीं अन्य संबंधों के रक्षा के लिए भी रक्षा सूत्र बंधन बांध सकते हैं।
पौराणिक कथाओं में गुरु अपने शिष्य एवं शिष्य अपने गुरु को रक्षा सूत्र बंधन बांधते थे।
कहा जाता है कि जब शिष्यों की शिक्षा पूरी हो जाती तो गुरुकुल में विदाई वक्त गुरु अपने शिष्य को रक्षा सूत्र बंधन बांधते थे।
ताकि आने वाले जीवन में उसे हर एक समस्या से जूझने की शक्ति मिले।
रक्षाबंधन का त्यौहार कब मनाया जाता है:-
रक्षाबंधन का त्योहार प्रतिवर्ष हिंदू सावन मास (जुलाई-अगस्त) के महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। लेकिन यह मूलतः अगस्त के महीने में मनाया जाता है।
रक्षाबंधन का त्यौहार कई नामों से भी जाने जाते हैं जैसे कि राखी या सावन के महीने में पड़ने की वजह से इसे हम सब श्रावणी व सलोनी के नाम से भी जानते हैं।
मनाने की विधि :-
रक्षाबंधन के इस त्योहार के दिन बहनें प्रात काल स्नान करके पूजा की थाल सजाती है। वह अपने पूजा के थाल में कुमकुम, राखी, रोली, अक्षत, दीपक तथा मिठाइयां रखती है।
भाई भी इस दिन स्नान करके तैयार हो जाते हैं।
अब बहने अपने भाई को पूर्व दिशा में बिठाकर उसकी आरती उतारती है। साथ ही साथ अपने भाई की सिर पर अक्षत लगाती है एवं फिर उसके कलाई पर रक्षा सूत्र राखी बांधती हैं।
अंततः बहन द्वार भाई का मुंह मीठा कराया जाता है।
भाई भी उसके जीवन में हर एक समस्या में उसका साथ देने का वचन देता है।
भाई बहन का यह त्यौहार एक दूसरे के प्रति स्नेह का प्रतीक है।
दोनों एक दूसरे की मदद के लिए सदा तैयार रहते हैं। भाई बहन में कितना भी झगड़ा क्यों ना हो जाए। फिर वही स्नेह पुनः हो ही जाता है।
अगर बहन बड़ी हो और भाई छोटा तो बहनें उनका पूरा ख्याल रखती हैं। और अगर भाई बहन से बड़ा तो भाई उसे आगे बढ़ने में मदद करता है।
भाई बहन के इसी स्नेह के कारण यह तो त्योहार अनोखा माना जाता है।
रक्षाबंधन |
रक्षाबंधन के महत्व:-
यह पर्व भाई बहन को एक दूसरे के समीप लाने का सुंदर अवसर रहता है। इस पर्व पर बहन से अपने भाई ही नहीं बल्कि किसी अन्य को भी अपना भाई मानकर रक्षा सूत्र बंधन बन सकती है। इसके महत्व को आप हमारे द्वारा नीचे लिखे गए घटनाओं से अनुमान लगा सकते हैं।
रक्षाबंधन से संबंधित ऐतिहासिक प्रसंग :-
रक्षाबंधन से संबंधित सबसे प्रचलित कथाओं में एक द्वापर युग की श्री कृष्ण की है, कहां जाता है कि "एक समय जब श्रीकृष्ण की उंगली किसी कारणवश कट गई थी।
तो द्रोपदी ने अपने साड़ी के एक कोने फाड़ कर श्री कृष्ण के हाथ पर बांध दिया।
इसका कर्ज़ भगवान श्री कृष्ण ने द्रोपती के चीरहरण के समय उसके जीवन की रक्षा की।"
अब हम बात रक्षाबंधन से संबंधित दूसरी घटना के बारे में करेंगे-
"एक बार की बात है चित्तौड़गढ़ की रानी करनावती जब बहादुर शाह के सैन्य सैनिक शक्ति के आगे विवश हो गई तो उन्होंने मेवाड़ की रक्षा के लिए हिमायू के पास राखी भेजी।
हिमायू ने उसे अपना बहन मानकर उसकी सहायता की और बहादुर शाह के सैन्य शक्ति को पराजित किया।"
रक्षाबंधन से संबंधित तीसरी घटना सिकंदर से संबंधित है-" कहा जाता है कि सिकंदर की पत्नी ने अपने पति हिंदू शत्रु पूरूवास (पोरस) को राखी बांधी थी और उसे अपना भाई बनाया था। तो पोरस ने उसे वचन दिया था कि वह सदा उसकी रक्षा करेंगे। एक बार पोरस और सिकंदर में युद्ध हुआ जिसमें पोरस की विजय हुई। पोरस ने सिकंदर की पत्नी का वचन का पालन करते हुए उन्हें जीवनदान दे दिया और अपने वचन का पालन किया।"
आधुनिक रक्षाबंधन:-
आज के बदलते युग में समय के साथ साथ हमारा रहन-सहन के साथ-साथ हमारे त्योहारों के मनाने के ढंग में भी परिवर्तन आ गया है। आज के इस विकसित युग में लोग पहले की भांति इसका उतना मैंने नहीं देते हैं। रक्षाबंधन की शुभकामनाएं अब मोबाइल पर ही दे देते हैं। और अगर इससे नहीं हुआ तो राखी भिजवा देते हैं।
इसका असर यह होता है कि लगातार एक दूसरी से नजदीकियां बढ़ती रहती हैं।
हम इस बात से कतई इंकार नहीं करते हैं समय के साथ हमारा सब कुछ बदला। लेकिन हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति का अवश्य ख्याल रखें ताकि कोई आंच ना पड़े।
हमें अपने त्योहारों को उसी प्रकार मनाना चाहिए जिस प्रकार से वर्षों से यह मनाते आ चला है।
जैन धर्म में रक्षाबंधन का महत्व:-
जैन धर्म में रक्षाबंधन का त्यौहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इसके पीछे एक वजह है कहां जाता है कि एक बार एक मुनियों ने 700 मुनियों की प्राणों की रक्षा की।
इसीलिए इस दिन जैन धर्म के लोग रक्षा सूत्र अपने कलाई पर बांधते हैं।
निष्कर्ष:-
रक्षाबंधन के इस पावन त्यौहार हमें बड़े धूमधाम से मनाना चाहिए ताकि हमारी अगली पीढ़ी भी इस त्यौहार को इसी तरह महत्व दे और हमारी यह परंपरा लगातार आगे बढ़ते रहें।
अगर आप रक्षाबंधन से संबंधित कोई अन्य घटना के बारे में जानते हैं ?तो आप हमें कमेंट करें।
हमारा यह जानकारी आपको कैसी लगी। उम्मीद करता हूं कि अच्छे लगी होगी ।
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अधिक जानकारी के लिए कमेंट करना ना भूलें।
धन्यवाद
By :- Gyan Adda
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