Pranab Mukherjee biography (प्रणब मुखर्जी जीवन परिचय) in hindi
प्रणब मुखर्जी जीवन परिचय
पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के बारे में जानेंगे। जैसा कि आप सबों के पता होगा कि कल अर्थात 31 अगस्त 2020 को प्रणब मुखर्जी निधन हो गया। आज 1 सितंबर को उसकी अंतिम विदाई है। भारत के प्रधानमंत्री सहित अन्य कई नेता ने उसकी निधन पर शोक जताया है।
Pranab Mukherjee |
प्रणव मुखर्जी भारत की राजनीति में एक प्रचलित नेताओं में से एक थे। वह मुख्यत: कांग्रेस पार्टी के सदस्य रहे हैं । प्रणब मुखर्जी को कांग्रेसियों पार्टी का संकटमोचक कहा जाता था। जो अब हमारे बीच नहीं रहा। 84 साल की उम्र में उसका निधन हो गया। आज हम आज उसके जीवन परिचय सहित उसके द्वारा किए गए कार्यों के बारे में जानेंगे।
परिचय:-
प्रणव मुखर्जी का जन्म दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के वीरपुर जिला में किरनाहर शहर के मिराती गांव में हुआ था। उनका परिवार मूल्यत: ब्राह्मण समाज से आता है। उसके पिता का नाम कामदा किंकर मुखर्जी एवं माता राजलक्ष्मी मुखर्जी था।
उसके पिता एक स्वतंत्र सेनानी रह चुके हैं उन्होंने देश की सेवा की है। इसके लिए उन्हें अपने जीवन का बेशकीमती 10 साल जेल में व्यतीत करना पड़ा।
इसके अलावा उनके कांग्रेस पार्टी के सदस्य रह चुके हैं। साथ ही साथ वह कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे है।
प्रणब मुखर्जी की शादी 1957 ईस्वी में सुभ्रा मुखर्जी के साथ हुआ। उनके तीन बच्चे हैं जिसमें की दो बेटे अभिजीत और इंद्रजीत एवं एक बेटी शर्मिष्ठ हैं। प्रणव मुखर्जी की दो बहने भी है।
शिक्षा:-
प्रणब मुखर्जी के प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूल में हुई। उन्होंने सुरी विद्यासागर कॉलेज में इतिहास और राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएट किया। साथ ही साथ उन्होंने कानून की डिग्री की भी शिक्षा ली।
प्रारंभिक जीवन:-
प्रणव मुखर्जी ने अपने कैरियर की शुरुआत एक कॉलेज में प्राध्यापक के रूप में किए। यहां पर उन्होंने अपनी सेवाएं दी। इसके बाद उन्होंने पत्रकार के रूप में अपना योगदान दिया। वह बंगिया साहित्य एवं परिषद का अध्यक्ष भी रहे।
राजनीतिक जीवन:-
प्रणव मुखर्जी का राजनीतिक जीवन बड़ा ही सफल एवं कुशल रहा। यहां पर उन्होंने 40 साल से ऊपर सेवाएं दी। वह 5 बार संसद भी रह चुके हैं। साथ ही साथ कैबिनेट के मंत्री पद पर कई बार रह चुके हैं।
प्रणव दा ने 1984 में भारत के वित्त मंत्री बने। साथ साथ वह 1991 से 1996 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। 1984 ईस्वी में जब इंदिरा गांधी की मृत्यु हुई। उसके बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी। उन्होंने अपनी एक अलग पार्टी बनाई और इसे आगे बढ़ाया।
यह बात 1991 की है जब पीवी नरसिम्हा राव की सरकार बनी तो पुनः प्रणब दा ने कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। प्रणब मुखर्जी 24 अक्टूबर 2006 को भारत का विदेश मंत्री बने। यहां पर भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी।
प्रणब दा ने 1999 से 2012 तक केंद्रीय चुनाव आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं।
वह कांग्रेसी पार्टी के सबसे बेहतरीन नेताओं में से एक रहें। इसी कारण से कांग्रेस पार्टी का संकटमचक कहा जाता था। उन्होंने सोनिया गांधी को राजनीतिक के सारा पाठ उन्होंने ही सिखाया। वह सोनिया गांधी के मेंटर के रूप में रहे। उन्होंने सोनिया गांधी को राजनीति केपाठ सिखाया इसके लिए सोनिया गांधी उन्हें अपना आदर्श भी मानती है। हालांकि राजीव गांधी से उसका उतना लगाव नहीं रहा ।
25 जुलाई 2012 को राष्ट्रपति भारत के तेरे में राष्ट्रपति के रूप में स्थान लिया। इसमें उन्हें 70% वोट मिले जिसके बाद उन्हें राष्ट्रपति चुना गया । उन्होंने25 जुलाई 2017 तक इस पद पर बने रहे।
प्रणब मुखर्जी को जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इस परिस्थितियों में तनिक भी ना घबराए। हमेशा आगे बढ़ते चले गए। और दूसरा कोई अन्य उसके स्थान पर होता तो शायद छोड़कर चले जाता। साथ ही साथ प्रणब मुखर्जी का ध्यान समाजिक कार्यों पर भी बना रहा। उसे इन कामों में बहुत रूचि थी।
पुरस्कार:-
प्रणब मुखर्जी को उसके जीवन में यह गए महान कार्यों के कारण कई बार बड़े पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया। उन्हें इन कामों के लिए कई अवार्ड मिले।
• 1997 में प्रणव दा को सांसद के रूप में अच्छे काम करने के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार का रूप में सम्मानित किया गया।
• प्रणब दा को 2007 में भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
• 26 जुलाई 2019 को प्रणब दा को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
इसके अलावा उन्हें कई अन्य अवॉर्ड भी मिले।
प्रणब मुखर्जी द्वारा लिखी गई कुछ किताबें:-
• इमर्जिंग डाइमेंशंस ऑफ इंडियन इकोनामी -
यह किताब उन्होंने 1984 में लिखी
• ऑफ द ट्रेक-
यह किताब प्रणब दा ने 1987 में लिखी
• सागा ऑफ स्ट्रगल एंड सैक्रिफाइस -
यह किताब प्रणब दा ने 1993 में लिखी
• चैलेंज बिफोर द नेशन -
यह किताब उन्होंने 1992 में लिखी
• द ड्रैमेटिक डिकेड : द डेज ऑफ इंदिरा गांधी इयर्स -
उन्होंने यह किताब 2014 में लिखी।
इससे हमें पता चलता है की प्रणब दा एक महान व्यक्ति रहे हैं साथ ही साथ वह एक कुशल लेखक भी रहे हैं।
निधन:-
10 अगस्त 2020 को अचानक प्रणव मुखर्जी की तबीयत खराब हो गई। इसके लिए उसे रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल दिल्ली में भर्ती कराया गया। जहां की पाया गया कि उसके मस्तिष्क में खून जम गया था इसके लिए उन्हें ब्रेन सर्जरी करानी पड़ी। इसके बाद वह कोमा में चले गए। साथ ही साथ डॉक्टरों का कहना है कि उसके फेफड़े में इंफेक्शन हो गया था।
कुछ दिन पहले उसकी करोना टेस्ट भी कराया गया था जिसमें कहा जाता है कि उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।
अंततः 31 अगस्त 2020 को उसके मृत्यु हो गई। इसकी जानकारी उसके बेटे अभिजीत मुखर्जी ने ट्विटर पर दी। आज 1 सितंबर 2020 को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उसके निधन कई हस्तियों ने शोक प्रकट किया।
Read also:-
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
अधिक जानकारी के लिए कमेंट करें